दोपहिया चलाने वाला मिश्रा VC पाठक से गठजोड़ के बाद BMW से चलने लगा, कुलपति बनवाने का लेने लगा ठेका

छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (CSJMU) के कुलपति विनय पाठक (VC Vinay Pathak) पर लगे भ्रष्टाचार (Corruption) के आरोपों के बीच उनके सबसे विश्वसनीय साझीदार अजय मिश्रा (Ajay Mishra) के फर्जीवाड़े और अथाह संपत्ति बटोरने को लेकर खुलासा हुआ है। मिश्रा के कॉल डिटेल की जाँच से पता चला है कि वह और पाठक बेहद करीबी और सहयोगी हैं। 

कभी कंप्यूटर का दुकान चलाने वाला मिश्रा कुलपति पाठक के सहयोग से आलीशान बंगले का मालिक बन गया और BMW जैसी लग्जरी गाड़ियों में चलने लगा। इतना ही नहीं, इस दौरान उसने अपने राजनीतिक संपर्क भी बना लिए और प्रोफेसरों को कुलपति बनाने का ठेका भी लेने लगा और कइयों को कुलपति बनवाया भी। दबी जुबान यह भी कहा जा रहा है कि मिश्रा की कंपनी में पाठक भी साझेदार हैं।

फोटो साभार: ब्रेकिंग ट्यूब

बता दें कि इस मामले में 6 पूर्व विधायकों ने राज्यपाल को पत्र लिखकर कहा था कि पाठक पर यूपी और केंद्र के कुछ मंत्रियों का हाथ है। इसलिए उन पर कार्रवाई नहीं हो रही है और जाँच के नाम पर लीपापोती हो रही है। इन विधायकों ने राज्यपाल से पाठक के खिलाफ CBI-ED और IT की जाँच की माँग की थी। इन विधायकों ने पाठक को तुरंत गिरफ्तार करने और उनकी अवैध संपत्ति पर बुलडोजर चलाने का आग्रह किया था।

पाठक के सहयोग से दोपहिया से BMW रखने लगा मिश्रा

डिजीटेक्स टेक्नोलॉजीजी इंडिया प्रा.लि. के एमडी डेविड मारियो डेनिस से जबरन वसूली करने, धमकाने और बंधक बनाने के आरोप में जेल भेजा गया पाठक का सबसे खास आदमी अजय मिश्रा पहले कंप्यूटर की दुकान चलाता था।

पाठक के संपर्क में आने के बाद उसने प्रिंटिंग प्रेस का काम शुरू किया। वह पाठक के जरिए यूनिवर्सिटी के प्रश्न पत्रों को छापने से लेकर अन्य काम का ठेका लेने लगा। इसके बाद वह XLICT नाम की कंपनी बना लिया और उसका संचालन करने लगा।


पहले मिश्रा की कंपनी कॉपियों की स्कैनिंग, डाक्यूमेंट स्कैनिंग, ओएमआर सप्लाई आदि का काम करती थी। वर्तमान में भी अजय की कंपनी परीक्षा से जुड़े काम करने वाली एजेंसी को मैन पावर सप्लाई करने का काम कर रही है। बताया गया है कि उसकी कंपनी में 200 से अधिक कर्मचारी हैं। 100 करोड़ का सलाना टर्न ओवर है। 20 करोड़ रुपये से अधिक कंपनी के खाते में हैं।

लोगों का कहना है कि कमीशन, दलाली और फर्जीवाड़े के पैसे से उसने दोपहिया से BMW का सफर तय किया और अरबों रुपए का साम्राज्य खड़ा कर लिया। इस कंपनी में कुलपति पाठक की भी परोक्ष रूप से साझेदारी बताई जा रही है। मामूली कंप्यूटर की दुकान चलाने वाला अजय अचानक करोड़ों का कारोबारी कैसे बना इसकी कड़ियां जोड़ी जा रही हैं। इसी दिशा में अब एसटीएफ छानबीन कर रही है।

मिश्रा कुलपति बनवाने का लेता था ठेका

पाठक के जरिए मिश्रा बड़े-बड़े लोगों के संपर्क में आया। इसके बाद वह अपने प्रभाव का इस्तेमाल कर देश भर के किसी भी विश्वविद्यालय में लोगों को कुलपति बनवाने का ठेका लेने लगा। STF की पूछताछ में मिश्रा ने स्वीकार किया है कि उसने कई लोगों से मोटी रकम लेकर कुलपति बनवाया है। 


STF पाठक व XLICT कंपनी के मालिक अजय मिश्रा के बीच लिंक भी जोड़ने का प्रयास कर रही है। दरअसल, डिजीटेक्स टेक्नोलॉजीजी इंडिया प्रा.लि. के एमडी डेविड मारियो डेनिस के हटने के बाद अजय की कंपनी ने लखनऊ के अब्दुल कलाम यूनिवर्सिटी में भी परीक्षा से जुड़ा काम शुरू किया था। 

कुलपति पाठक ने मिश्रा की कंपनी को एडवांस भुगतान और जगह दिया

सीएसजेएमयू में पहली बार उत्तर पुस्तिकाओं का डिजिटल मूल्यांकन कराया गया। कॉपियों की स्कैनिंग, कोडिंग समेत तमाम कार्य मिश्रा के ही एक सहयोगी की एजेंसी को सौंपे गए। 

विश्वविद्यालय के एक अधिकारी ने बताया कि इसके लिए एजेंसी को एडवांस में भी काफी पैसा दिया गया था। परीक्षा भवन में ही पीछे वाली बिल्डिंग में कोडिंग व स्कैनिंग का गोपनीय काम शुरू कराया गया। इस भवन में किसी को भी जाने की इजाजत नहीं दी जाती थी।


एजेंसी के कर्मचारी कुलपति पाठक, परीक्षा नियंत्रक अंजनी कुमार मिश्रा के अलावा किसी की भी बात नहीं सुनते थे। अभी भी ये कर्मचारी परीक्षा संबंधी कार्य कर रहे हैं। इधर, एसटीएफ के एक अधिकारी ने बताया कि अजय मिश्रा की एजेंसी व उसके कर्मचारियों को कब-कब कितना भुगतान किया गया, इस बाबत भी पड़ताल की जा रही है। 

मिश्रा की कंपनी बिहार के मगध विश्वविद्यालय में कर चुकी है घोटाला

पाठक के करीबी अजय मिश्रा के रिश्तों की पड़ताल एसटीएफ मोबाइल फोन की काल डिटेल से कर रही है। जांच में पता लगा है कि अजय मिश्रा व उसके सहयोगियों की एजेंसी, आगरा विश्वविद्यालय में ही नहीं सीएसजेएमयू, लखनऊ विश्वविद्यालय, बिहार और मध्य प्रदेश के भी कुछ विश्वविद्यालयों में परीक्षा संबंधी कार्य देख रही थी। अब कुछ स्थानों पर उसकी एजेंसी को भुगतान रोक दिया गया है।

एसटीएफ अब यूपी, बिहार, दिल्ली, मध्य प्रदेश समेत अन्य राज्यों में अजय मिश्रा की कंपनी के कार्यों का ब्यौरा निकाल रही है। छानबीन में सामने आया है कि वर्ष 2007 में एक्सएल आइसीटी कंपनी का रजिस्ट्रेशन हुआ था। दो साल बाद वर्ष 2009 में अजय मिश्रा कंपनी का निदेशक बना था। प्रो. पाठक व व अन्य कुलपतियों की मदद से आरोपित की कंपनी को परीक्षा से संबंधित कार्य मिलने लगे।


मगध विश्वविद्यालय में वर्ष 2021 में वित्तिय अनियमितता सामने आई। इसके बाद तत्कालीन कुलपति प्रो. डा. राजेंद्र प्रसाद पर भ्रष्टाचार के आरोप लगे। आरोप है कि कुलपति ने 30 करोड़ रुपये से ज्यादा का हेरफेर किया है। इसमें पद पर रहते सामानों की खरीदारी और नियुक्ति आदि के मद में सरकारी राशि का दुरुपयोग करना शामिल है। इस फर्जीवाड़े में शामिल अजय मिश्रा बिना टेंडर के ही सप्लाई का काम कर रहा था।

मिश्रा के सहयोग से बिहार के कुलपति ने जुटाई थी बेशुमार संपत्ति

बिहार पुलिस ने उत्तर पुस्तिका और किताब की सप्लाई को लेकर जांच शुरू किया था। इस दौरान पता चला कि जिस कंपनी ने विश्वविद्यालय में काम किया था, उसने कुछ और कालेजों में भी उत्तर पुस्तिका सप्लाई की थी। छानबीन में तत्कालीन कुलपति पर आय से अधिक संपत्ति का मामला भी उजागर हुआ था और उनके कई ठिकानों से करीब 90 लाख रुपये, 15 लाख के जेवर और कीमती जमीनों के कागजात मिले थे।

एसटीएफ ने बिहार पुलिस से संपर्क कर मगध विश्वविद्यालय में हुई धांधली से संबंधित जानकारी मांगी है। इसके साथ ही अजय मिश्रा के कई राज्यों के विश्वविद्यालयों में हस्तक्षेप की जांच तेज हो गई है। अजय मिश्रा की कंपनी ने लखनऊ विश्वविद्यालय, एकटीयू, डा. भीमराव अंबेडकर विश्वविद्यालय आगरा और छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर में काम किया है। 


लखनऊ विश्वविद्यालय में अजय मिश्रा का काफी हस्तक्षेप था। पूर्व में बीकाम परीक्षाफल की गड़बड़ी, और जाली मार्कशीट का मामला सामने आया था। तब अजय की कंपनी ही काम देख रही थी। हालांकि अजय की पहुंच के आगे उसपर कोई आंच नहीं आई थी।

मिश्रा की कंपनी में दो महिला निदेशक भी जुड़ी थी

अजय मिश्रा की कंपनी में दो महिला निदेशक भी हैं। वर्ष 2017 में रिचा मिश्रा और स्मिता बाजपेयी नाम की दो महिलाएं कंपनी में निदेशक बनी थीं। हालांकि सारा काम अजय ही देखता था। अजय के खुर्रमनगर स्थित घर पर वर्तमान में कोई नहीं है। 

घर पर एक सिक्योरिटी गार्ड मौजूद है, जो वहां आने वाले लोगों के बारे में जानकारी लेकर आगे पहुंचा रहा है। उधर, आगरा में एसटीएफ की टीम ने विश्वविद्यालय से कब्जे में लिए गए दस्तावेज की पड़ताल की है। हालांकि सभी की नजर अब गुरुवार को पाठक की ओर से दी गई अर्जी पर हाईकोर्ट के फैसले पर टिकी है।

पाठक को राजनीतिक संरक्षण का आरोप

पाठक को लेकर 6 पूर्व विधायकों ने राज्यपाल को पत्र लिखा है। उन्होंने पाठक की तुरंत गिरफ्तारी के साथ-साथ मामले की जाँच ED, CBI और आयकर विभाग से कराने और उनकी अवैध कमाई पर बुलडोजर चलाने की माँग की है। 

पूर्व विधायकों ने यह भी आरोप लगाया कि पाठक पर यूपी और केंद्र के मंत्रियों का हाथ है, इसलिए उनकी गिरफ्तारी तो दूर उनसे पूछताछ भी नहीं हो रही है और जाँच के नाम पर लीपापोती की जा रही है। विधायकों ने पाठक को तुरंत गिरफ्तार करने की माँग की।

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