अवैध नियुक्ति और घोटाला, VC पाठक पर मंत्रियों का हाथ: 6 पूर्व MLA द्वारा ED-CBI जाँच की माँग, कहा- बुलडोजर चले

घूसखोरी के आरोप में STF के निशाने पर आए कानपुर छत्रपति शाहू महाराज यूनिवर्सिटी के कुलपति विनय पाठक (VC Vinay Pathak) को लेकर 6 पूर्व विधायकों ने राज्यपाल को पत्र लिखा है। उन्होंने पाठक की तुरंत गिरफ्तारी के साथ-साथ मामले की जाँच ED, CBI और आयकर विभाग से कराने और उनकी अवैध कमाई पर बुलडोजर चलाने की माँग की है। पूर्व विधायकों ने यह भी आरोप लगाया कि पाठक पर यूपी और केंद्र के मंत्रियों का हाथ है, इसलिए जाँच के नाम पर लीपापोती की जा रही है।

कुलपति विनय पाठक

विनय पाठक पर आरोप है कि छह विश्वविद्यालयों में कुलपति रहने के दौरान उन्होंने अपने नजदीकी लोगों को नौकरी दी और अरबों रुपए का हेरफेर किया। रिश्वतखोरी और खरीद-फरोख्त में धांधली के साथ ही उनके कार्यकाल में परीक्षा की कॉपियाँ आउट हुईं और सॉल्वर गैंग सक्रिय रहा।

बलिया के जननायक चंद्रशेखर विश्वविद्यालय की कुलपति कल्पलता पांडे की तरह कुलपति पाठक भी जहाँ भी रहे अपने करीबी लोगों की भर्तियाँ कीं। इसके लिए उन्होंने नियमों को भी ताक पर रख दिया। इन सबके बारे में STF जाँच कर रही है। बता दें कि कल्पलता पांडे ने अपने विश्वविद्यालय में 16 असिस्टेंट प्रोफेसरों के पदों पर 13 ब्राह्मणों और 3 भूमिहारों को नौकरी दी है, जिसकी जांच के लिए समिति बनाई गई है।

कुलपति पाठक के ही कार्यकाल में आगरा स्थित डॉक्टर भीमराव अंडेबकर यूनिवर्सिटी में पेपर लीक की घटना हुई थीं। यूनिवर्सिटी में बैचलर ऑफ आयुर्वेदिक मेडिसिन एंड सर्जरी (बीएएमएस) की परीक्षा के दौरान कॉपी बदलने का मामला भी सामने आया था।

मामले को कई दिनों तक लंबित रखा गया। दबाव बढ़ता देख बाद में विश्वविद्यालय प्रशासन ने एफआइआर दर्ज कराई। मुख्यमंत्री के आदेश के बाद जब इसकी छानबीन की गई तो पता चला कि खाली कॉपी बाहर भेज दी जाती थी, जिसे सॉल्वर गिरोह लिखता था।

इसके बाद पेपरों को सुरक्षित रखने के लिए पाठक ने डिजी लॉकर मंगवाए थे। उस समय भी डिजी लॉकर को लेकर चर्चा थीं। उस समय बिना किसी प्रक्रिया के नोडल केंद्रों पर आरएफआइडी लॉक लगवाए गए थे।

ये लॉक पाठक के सबसे खास और परीक्षा संचालित करने वाला गिरफ्तार अजय मिश्रा की कंपनी से लगवाए गए थे। इसके लिए यूनिवर्सिटी ने 25 लाख रुपए का भुगतान किया था। यही लॉक बाजार में 10 लाख रुपए में उपलब्ध है, लेकिन अपने सहयोगी के जरिए हेरफेर करने के लिए अजय मिश्रा का इस्तेमाल किया गया।


इसके अलावा विनय पाठक के समय में यूनिवर्सिटी में खरीद-फरोख्त में भी कई गड़बड़ी सामने आई हैं। इनमें संस्कृति भवन में प्रेस कांफ्रेंस के लिए खरीदी गई टेबल-कुर्सी भी शामिल है। कॉन्फ्रेंस के लिए जिस टेबल को खरीदा गया, उसके लिए सात लाख रुपए का भुगतान किया गया। वहीं, कुर्सी के लिए 13 हजार रुपए का भुगतान किया गया। संस्थानों के लिए टू सीटर बेंच 11, 700 रुपए व थ्री सीटर बेंच 19, 700 रुपए में खरीदी गई।

विनय पाठक लखनऊ के डॉ. एपीजे अब्दुल कलाम प्राविधक विश्वविद्यालय (AKTU) एसटीएफ ने प्रशासन से यह जानने का प्रयास किया कि प्रो. पाठक के कार्यकाल के दौरान किन लोगों की टीचिंग व नॉन टीचिंग में नियुक्तियां हुई। कहीं नियुक्ति प्रक्रिया में किसी तरह की खामी तो नहीं हुई। एकेटीयू में तैनाती के दौरान पाठक ने 2400 करोड़ रुपये की एफडी तुड़वा दी थी। एसटीएफ ने नियुक्ति और एफडी तुड़वाने समेत अन्य बिंदुओं पर विश्वविद्यालय से दस्तावेज लिए हैं।

इसी तरह उनके कार्यकाल में राजकीय इंजीनियरिंग कॉलेजों के बहुमुखी इंफ्रास्ट्रक्चरल डेवलपमेंट के लिए शुरू की गई 200 करोड़ की दीनदयाल उपाध्याय गुणवत्ता सुधार योजना (डीडीक्यूआईपी) से हुए काम व किस-किस फर्म को काम दिया गया, किसे कितना भुगतान हुआ, आदि के बारे में भी जानकारी ली गई। उससे जुड़े कुछ दस्तावेज भी मांगे गए। 

जांच एजेंसी ने पाठक के कार्यकाल में हुई खरीद किन-किन फर्मों से, कितनी और क्या-क्या हुई है, इसके बारे में भी काफी बारीकी जानकारी लेने का प्रयास किया। उनके कार्यकाल में हुए निर्माण आदि से जुड़ी जानकारी भी ली। इन सबसे जुड़े दस्तावेज को लेकर विश्वविद्यालय अधिकारियों ने कहा कि लिखित पत्राचार में इससे जुड़ी जानकारी दी जाएगी। 

जांच के दौरान यह बात सामने आयी है कि पाठक जहाँ भी तैनात रहे, वहाँ अपने करीबी लोगों को विभिन्न पदों पर नियुक्त किया। इसके अलावा नियमों को दरकिनार कर कुछ लोगों को दूसरे विश्वविद्यालयों से बुलाकर भी काम सौंपा गया। जाँच में यह बात भी सामने आई है कि कुलपति पाठक अपने नियमों को ताक पर रखकर अपने मन मुताबिक कार्य कर करते है।


इन विश्वविद्यालयों में पाठक जब भी कुलपति रहे, उन पर करीबियों की नियुक्ति करने, खरीद-फरोख्त में हेरफेर करने और नियमों को ताक पर रखकर अरबों रुपए की धांधली करने के आरोप लगे। इस दौरान विश्वविद्यालय के कई लोगों ने विरोध किया। विरोध करने वालों को साइड लाइन कर दिया गया। एजेंसी अब ऐसे लोगों से संपर्क कर जानकारी जुटा रही है।

विनय पाठक पर लखनऊ में FIR दर्ज की गई है। एजेंसी का कहना है कि पाठक कहाँ हैं, इसकी जानकारी नहीं मिल रही है। पाठक को फरार बताया जा रहा है। कहा जा रहा है कि पाठक पर कई राजनेतओं और नौकरशाहों का हाथ है, जिसकी वजह से वे बिना किसी खौफ के नियमों और कानूनों की अनदेखी करते रहे। 

छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय के वर्तमान कुलपति व भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा के प्रभारी कुलपति विनय पाठक उत्तराखण्ड मुक्त विश्वविद्यालय हल्द्वानी, कोटा की वर्धमान महावीर ओपन यूनिवर्सिटी, भीमराव अम्बेडकर विश्वविद्यालय आगरा, छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय कानपुर, अब्दुल कलाम आजाद टेक्निकल विश्वविद्यालय और लखनऊ की ख्वाजा मोइनुद्दीन चिश्ती भाषा विश्वविद्यालय का भी जिम्मा संभाल चुके हैं।


इधर, पाठक ने संभावित पूछताछ और गिरफ्तारी को लेकर इलाहाबाद हाईकोर्ट में याचिका दाखिल की है, जिसकी सुनवाई लखनऊ खण्डपीठ में 10 नवम्बर को होगी। हालाँकि, न्यायालय ने उन्हें अभी तक कोई भी अंतरिम राहत उन्हें नहीं दी है। पाठक के वकील एलपी मिश्रा ने गुरुवार (3 अक्टूबर 2022) को न्यायालय से अनुरोध किया कि उन्हें मामले में पूरक हलफनामा दाखिल करने के लिए कुछ समय दिया जाये, वहीं राज्य सरकार की ओर से इसका विरोध किया गया। 

मामला इतना गंभीर होने के बावजूद विनय पाठक से अभी तक पूछताछ और गिरफ्नतारी नहीं होने छह पूर्व विधायकों ने राज्यपाल आनंदीबेन पटेल को पत्र लिखा है। पूर्व विधायकों ने विनय पाठक द्वारा बड़े पैमाने पर किए गए विभिन्न भ्रष्टाचार के मामले की जाँच ED, आयकर विभाग और CBI से कराए जाने के साथ-साथ तत्काल गिरफ्तार करने की मांग की है।

पूर्व विधायकों ने कहा है कि इतने बड़े पैमाने पर पाठक द्वारा कदाचार करने के बावजूद पाठक की गिरफ्तारी नहीं हुई। इसके अलावा, अन्य मामलों की तरह बुलडोजर चलाने, ईडी, आईटी, और सीबीआई जांच प्रारंभ करने जैसे कदम भी नहीं उठाये गये हैं।

पूर्व विधायकों ने आरोप लगाया कि पाठक को उत्तर प्रदेश और केंद्र के कुछ वरिष्ठ मंत्रियों और उनके परिवारों का वरदहस्त प्राप्त है। इसी वजह से उनके मामले में केवल लीपापोती चल रही है। उन्होंने कहा कि पाठक के कारण जनता, शिक्षार्थियों, अध्यापकों और कर्मचारियों का भविष्य अधर में लटक गया है।



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