VC कल्पलता पांडे के बाद कुलपति विनय पाठक के खिलाफ जाँच शुरू: रिश्वत के लिए बंधक बनाने पर सहयोगी अजय मिश्रा गिरफ्तार

उत्तर प्रदेश के बलिया स्थित जननायक चंद्रशेखर सिंह विश्वविद्यालय (JNCU, Balia, UP) में कुलपति कल्पलता पांडे (Kalplata Pandey) द्वारा सभी 16 पदों पर अपनी जाति के असिस्टेंट प्रोफेसरों की भर्ती का मामला थमा भी नहीं था कि एक और कुलपति के भ्रष्टाचार और रंगदारी माँगने का मामला सामने आ गया है।

कुलपति विनय पाठक

कानपुर के छत्रपति शाहूजी महाराज विश्वविद्यालय (CSMU, Kanpur) के कुलपति विनय पाठक (Vinay Pathak) पर रंगदारी माँगने और बंधक बनाने का मामला सामने आया है। यह मामला तब का है, जब वह आगरा के डॉक्टर भीमराव अंबेडकर यूनिवर्सिटी के कार्यवाहक कुलपति थे। इस मामले में पाठक और XLICT कंपनी के मालिक अजय मिश्रा के खिलाफ मामला दर्ज किया गया है।

मामला सामने आने के बाद मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) के निर्देश पर SIT का गठन किया है। वहीं, मिले साक्ष्यों के आधार पर SIT ने मिश्रा को गिरफ्तार कर जेल भेज दिया है। हालाँकि, SIT ने अजय मिश्रा का अभी तक रिमांड नहीं लिया है। वहीं, कुलपति पाठक से अभी तक पूछताछ भी नहीं की गई है।

बताया जा रहा है कि कुलपति कल्पलता पांडे की तरह विनय पाठक के भी राजनीतिक दलों में अच्छी-खासी पहुँच है। यही कारण है कि उन्हें अभी गिरफ्तार नहीं किया गया है। कल्पलता पांडे के मामले में भी राजभवन को शिकायत देने के बाद एक जाँच समिति का गठन किया गया है। स्थानीय लोगों का कहना है कि इस समिति में पांडे के नजदीकी लोगों को रखा गया है। 

कहा जा रहा है कि कल्पलता पांडे इसी साल रिटायर होने वाली हैं। अगर रिटायरमेंट से पहले उनकी गिरफ्तारी हो जाती है तो सेवानिवृत्ति के बाद मिलने वाले उनके पैसे रूक सकते हैं। हालाँकि, इस मामले में समिति की अभी रिपोर्ट आनी बाकी है। वहीं, ऐसे ही एक मामला यूपी के जीपी पंत यूनिवर्सिटी में भी आया था, जहाँ भर्ती घोटाले में उस समय कुलपति रहे बद्री तिवारी पर आरोप लगाया गया था। इस मामले में भी अभी तक कार्रवाई की जानकारी सामने नहीं आई है।


एसटीएफ की पूछताछ में पता चला कि अजय मिश्रा लखनऊ के खुर्रम नगर का रहने वाला है। सेवानिवृत बैंककर्मी के बेटे मिश्रा ने लखनऊ में पढ़ाई की। सीए की भी तैयारी की, लेकिन सफल नहीं हो सका। वह कंप्यूटर डेटा प्रोसेसिंग का काम करने लगा। 

कभी स्कूटर से चलने वाला मिश्रा आज लग्जरी गाड़ियों से चलता है और आलीशान कोठी में रहता है। बताया गया है कि उसकी कंपनी में 200 से अधिक कर्मचारी हैं। 100 करोड़ का सलाना टर्न ओवर है। 20 करोड़ रुपये से अधिक कंपनी के खाते में हैं। 

अजय मिश्रा शिक्षण संस्थानों में उपकरण आदि की भी सप्लाई देता था। कई अन्य कुलपति से उसकी सांठगांठ की जानकारी एसटीएफ को मिली है। अजय मिश्र ने प्रो. विनय पाठक के लिए एजेंसी से कमीशन के रूप में रुपये लिए थे। इसके कई खातों में रकम को जमा कराया। 

यूनिवर्सिटी में परीक्षा कराने वाली निजी कंपनी डिजीटेक्स टेक्नोलॉजी इंडिया के मालिक डेविड मारियो ने 29 अक्टूबर 2022 को लखनऊ के इंदिरा नगर थाने में एक मामला दर्ज कराया था। डेविड का आरोप लगाया है कि उन्होंने आगरा विश्वविद्यालय के वीसी रहे विनय पाठक कार्यकाल के दौरान बिलों को पास करने के लिए पाठक और मिश्रा ने उनसे रंगदारी माँगी थी। इतना ही नहीं, उन्हें बंधक भी बनाया गया था।

धमकी के बाद अपने बिलों को पास कराने के लिए डेविड ने पाठक को 1 करोड़ 41 लाख रुपए की रिश्वत दी थी। डेविड की कंपनी आगरा यूनिवर्सिटी के साथ 2014-15 से 2020 तक काम कर रही थी। डेविड ने कहा कि अपने बकाए के भुगतान के लिए जब उन्होंने कानपुर विश्वविद्यालय में पाठक से उनके आवास पर मुलाकात की तो उनसे कहा गया कि उन्हें 15 प्रतिशत कमीशन देना होगा। 

डेविड मारियो डेनिस ने पाठक पर आरोप लगाया है कि रुपये न देने पर विश्वविद्यालय में 2022-23 का कार्य नहीं देंगे, इसके चलते अजय मिश्रा की एक कंपनी को इसका कार्य दे दिया है। इससे इस मामले की जांच भी एसटीएफ करेगी। एसटीएफ को आशंका है कि कमीशन न देने के कारण कहीं ही नई एजेंसी को परीक्षा संबंधी कार्य दिया हो। 

डॉ. भीमराव आंबेडकर विश्वविद्यालय से करीब 408 कॉलेजों को अलीगढ़ की राजा महेंद्र प्रताप सिंह विश्वविद्यालय से जोड़ा गया है। यहां के करीब 100 कॉलेजों को संबद्धता दी गई। अलीगढ़ विश्वविद्यालय के कुलसचिव महेश कुमार ने भी इन कॉलेजों का डेटा आगरा विश्वविद्यालय से मांगा, लेकिन अभी तक डेटा नहीं मिला है। इससे इनमें भी गड़बड़ी की आशंका पर एसटीएफ जांच करेगी। एसटीएफ ने विश्वविद्यालय के अधिकारियों ने इनके 10 महीने के कार्यकाल में कॉलेजों में संबद्धता, योजनाएं, विभागीय कार्य की सूची बनाकर मांगी है। 

पाठक के कुलपति प्रभारी के दौरान ही विश्वविद्यालय के एमबीबीएस और बीएएमएस की कॉपियां बदलने का गैंग पकड़ा था। इसमें विश्वविद्यालय का कर्मचारी, छात्र नेता, डॉक्टर और शिक्षा माफिया का गैंग था। इस मामले की एसटीएफ पहले से ही जांच कर रही है। 

कुलपति पाठक पर कई आरोप हैं। संस्कृति भवन का निर्माण कार्य अधूरा था। इन्होंने अधूरे निर्माण के बीच ही इसका उद्घाटन करवाया। इसके निर्माण में राष्ट्रीय उच्चतर शिक्षा अभियान के तहत बजट में धांधली का आरोप है। 

इनके कार्यकाल में डिजी लॉकर और चार्ट समेत अन्य दस्तावेजों का डिजिटलाइजेशन कार्य भी हुआ। इसमें कर्मचारियों ने भी पारदर्शिता न बरतने का आरोप लगाया था। इसके साथ ही परीक्षा विभाग, गोपनीय विभाग, माइग्रेशन, पुस्तकालय समेत अन्य के दस्तावेजों की स्कैनिंग का कार्य भी इन्हीं के कार्यकाल में शुरू हुआ। अभी ये कार्य चल रहा है। 

साल 2021-22 सत्र में परीक्षा केंद्र निर्धारण में भी धांधली के आरोप लगे। औटा ने बिना संसाधन वाले कॉलेज और दागी कॉलेजों को केंद्र बनाने का आरोप लगाया। इन्होंने अतिथि और संविदा शिक्षकों की सेवाएं विस्तार नहीं कीं। इससे कई संकाय में शिक्षकों की कमी हुई। इनके निर्णय के खिलाफ शिक्षकों ने कोर्ट की शरण भी ली है।

इन्होंने नए कुलपति की नियुक्ति से चंद दिनों पहले पांच संकायों के निदेशक को हटा दिया। इसमें कई वरिष्ठों की अनदेखी की। इसकी राजभवन में भी शिकायत की। इनके कार्यकाल में स्थायी, संविदा और अतिथि शिक्षकों की नियुक्ति हुई। इन पर गलत तरीके से विज्ञापन जारी करने का भी आरोप लगा।


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