DySP विद्या किशोर शर्मा को डिमोट कर दारोगा बनाया गया, रेप केस को रफा-दफा करने के लिए 5 लाख का लिया रिश्वत

उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ (CM Yogi Adityanath) की सरकार ने रिश्वत लेने के मामले में बड़ी कार्रवाई करते हुए एक डिप्टी एसपी का डिमोशन करके सब-इंस्पेक्टर यानी दरोगा बना दिया है। रामपुर जिले में तैनात रहे डिप्टी एसपी विद्या किशोर शर्मा पर 5 लाख रुपए घूस लेने के बाद यह कार्रवाई की गई है।

डिमोशन के बाद दारोगा बने CO विद्या किशोर शर्मा

शर्मा को डिमोशन के बाद निलंबित कर दिया गया है। शर्मा का एक वीडियो वायरल हुआ था, जिसमें वह झोले में नोट भरकर ले रहा था। शर्मा अभी जालौन जिले की पीटीसी ब्रांच में तैनात है। 

शर्मा को दिसंबर 2021 में निलंबित कर दिया गया था। निलंबन के बाद विद्या किशोर को DGP कार्यालय से संबद्ध किया है। वीडियो वायरल होने के बाद शासन स्तर पर जांच कराई गई है।

साल 2021 में एक महिला ने आरोप लगाया था कि अस्पताल के संचालक विनोद यादव और तत्कालीन इंस्पेक्टर रामवीर यादव ने उसके साथ गैंगरेप किया। शिकायत के बाद भी पुलिस ने कार्रवाई नहीं की। बाद में मुख्यमंत्री के दौरे के दौरान जब महिला ने आत्मदाह की धमकी दी, तब पुलिस ने रिपोर्ट दर्ज की थी। 

इस मामले को रफा-दफा कराने के लिए रामपुर में डिप्टी एसपी के तौर पर तैनात शर्मा द्वारा पांच लाख रुपए की घूस लेते हुए वीडियो सामने आया था। यह वीडियो मुख्यमंत्री कार्यालय तक पहुँच गया था।

आरोपी इंस्पेक्टर रामवीर यादव और अस्पताल संचालक विनोद यादव पर FIR दर्ज किया गया। CO विद्या किशोर शर्मा को सस्पेंड कर दिया गया। इसके बाद शासन के आदेश पर जांच ASP मुरादाबाद को सौंपी गई। जांच में विद्या किशोर शर्मा पर घूस लेने के आरोप सही पाए गए।

शर्मा के खिलाफ भ्रष्टाचार का मामला सिविल लाइंस कोतवाली क्षेत्र के अंतर्गत आने वाले मॉडल कॉलोनी निवासी एवं RTI कार्यकर्ता दानिश खां ने केंद्रीय सतर्कता आयोग में उठाया था। इसके साथ ही उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ से भी शिकायत की थी।

आरोप लगाया कि शर्मा की घूसखोरी के वीडियो कांड में जिले के एसपी शगुन गौतम भी शामिल हैं। शासन को मिली शिकायत के बाद सेंट्रल विजिलेंस ने शर्मा और आईपीएस शगुन गौतम के खिलाफ केस दर्ज कर जाँच शुरू की थी। यह जाँच अभी भी चल रही है।

डिमोशन के बाद अब उन्हें दोबारा CO बनने में 10 से 12 साल का समय लग सकता है। अभी मूल पद सब इंस्पेक्टर पर भेजे गए हैं। इसके बाद इंस्पेक्टर बनने में संभावित 8 से 10 साल लग सकते हैं।

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