रतलाम के महालक्ष्मी मंदिर में पुजारी पर पैसे चुराने का आरोप, कार्रवाई शुरू करने पर प्रशासन को मिलने लगी चेतावनी

मध्य प्रदेश के रतलाम स्थित महालक्ष्मी मंदिर में एक पुजारी द्वारा मंदिर का पैसा अपनी जेब में रखने का वीडियो वायरल हो रहा है। वायरल वीडियो के आधार पर प्रशासन ने पुजारी संजय को नोटिस जारी कर पूछा कि उन्हें क्यों नहीं मंदिर के पुजारी पद से हटाया जाना चाहिए। इसके बाद बाभन समाज उग्र हो गया। इस समाज के लोगों ने मंदिर पहुंचकर पुजारी का सम्मान किया और दक्षिणा देने का वीडियो जारी कर प्रशासन को फिर से कार्रवाई की चुनौती दी।



दरअसल, रतलाम के प्रसिद्ध महालक्ष्मी मंदिर में पांच दिवसीय दीपोत्सव के दौरान पुजारी को दक्षिणा मिला। इस पैसे को वह मंदिर के दान पेटी में डालने के बजाय उसने अपनी जेब में रख लिया। इसका वीडियो सामने आया तो कलेक्टर कुमार पुरुषोत्तम ने मामले की जांच के आदेश दिए हैं। कलेक्टर के आदेश के बाद एसडीएम अभिषेक गहलोत ने पुजारी को नोटिस जारी कर जवाब मांगा।

इस कार्रवाई से भनभनाए बाभन समाज के लोगों ने प्रशासन को ही चुनौती दे डाली। वे पुजारी को सम्मानित करने पहुँच गए और प्रशासन को कार्रवाई की चुनौती दी। इन लोगों का कहना है कि श्रद्धालुओं को राशि दान करनी होती तो वे दान पात्र में पैसे रखते। पुजारी के हाथ में दिया जाने वाला पैसा दक्षिणा होती है और उस पर पुजारी का ही हक होता है।

यह मंदिर शासकीय नियंत्रण में है। इस मंदिर में चढ़ाये जाने वाले एक-एक पैसे को सरकारी फंड में जमा कराना अनिवार्य होता है। लेकिन, ऐसा करने के बजाय पुजारी ने पैसे को अपने जेब में रख लिया। इस पर प्रशासन ने पुजारी को नोटिस जारी कर दिया और पूछा कि उनके इस कार्य के लिए मंदिर के पुजारी पद से क्यों नहीं हटाया जाना चाहिए।


सुविख्यात महालक्ष्मी मंदिर का निर्माण रतलाम शहर के संस्थापक महाराजा रत्न सिंह ने कराया था। महाराजा ने मंदिर में पूजा के लिए राजस्थान के श्रीमाली बाभनों को शहर में बसाया था और इस मंदिर के पूजा-पाठ की जिम्मेदारी उनके कंधों पर दे दी थी। बदलते समय के साथ इस मंदिर को कोर्ट्स ऑफ वार्ड्स के अंतर्गत ले लिया गया, यानी सरकारी नियंत्रण में ले लिया गया। इसके बाद इस मंदिर पर चढ़ावे पर सरकार का अधिकार हो जाता है।

इस मंदिर की आय का अंदाजा इसी से लगाया जा सकता है कि इस पांच दिवसीय दीपोत्सव के दौरान मंदिर की भव्य सजावट में 5 करोड़ रुपये खर्च किये गए थे। इस मंदिर को 2 करोड़ रुपये की नकदी और तकरीबन 3 करोड़ रुपये की कीमत के आभूषण से सजाया गया था। इस मंदिर में श्रद्धालुओं की सालों-भर भीड़ लगी रहती है।

गौरतलब है कि बाभन समाज सरकारी नियंत्रण वाले मंदिरों को हिंदू समाज के हवाले करने की माँग समय-समय पर करते रहता है। हालाँकि, मंदिरों में पंडों-पुजारियों द्वारा दर्शनार्थियों से जबरन पैसे लेने और अभद्रता को देखते हुए हिंदू समाज इसके प्रति ज्यादा इच्छुक नहीं दिखता है।

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